संज्ञा और संज्ञा के भेद (Sangya aur Sangya ke Bhed) [हिन्दी भाषा और व्याकरण]

संज्ञा और संज्ञा के भेद  
(Sangya aur Sangya ke Bhed) 
[हिन्दी भाषा और व्याकरण]

इस पोस्ट में हमलोग संज्ञा और उसके भेद [Sangya aur Sangya ke Bhed] के बारे में अध्ययन करेंगे। साथ ही हम विभिन्न संज्ञाओं के उदहारण को भी समझेंगे।

1. संज्ञा किसे कहते हैं? (Sangya kise kahte hai)

परिचय-  संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है-- 'सम् + ज्ञा' अर्थात् सम्यक ज्ञान कराने वाला। किसी भी वस्तु, व्यक्ति ,गुण ,भाव ,स्थिति का परिचय कराने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं । संज्ञा का दूसरा पर्याय हैं--नाम ।अतः किसी भी व्यक्ति ,वस्तु ,स्थिति या गुण के नाम को संज्ञा कहा जाता है ।

महत्व--संज्ञा शब्दों के बिना भाषा बन ही नहीं सकती। जब हम कोई भी बात कहते ,करते ,पूछते हैं तो अनजाने में संज्ञा शब्दों का ही प्रयोग करते हैं । उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखिए--गंगा हिंदुओं के लिए पवित्र नदी है।गाय एक उपयोगी पशु है।

2. संज्ञा के कितने भेद होते हैं ? (Sangya ke kitane bhed hote hai)

संज्ञा के पांच भेद होते हैं:

(१) व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya):

व्यक्तिवाचक संज्ञा उसे कहते हैं, जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति ,विशेष वस्तु ,विशेष स्थान या विशेष प्राणी के नाम का बोध कराते हैं ।

व्यक्ति वाचक संज्ञा के उदहारण (Examples of Vyakti vachak sangya)

» व्यक्तियों के नाम--सुभाष चंद्र बोस, नरेंद्र मोदी।

» प्राणियों के नाम--बाघ, गाय।

» स्थानों के नाम--असम ,तिनसुकिया ,डिब्रूगढ़।

» वस्तुओं के नाम--श्रीमद्भागवत गीता, रामायण।

(२) जातिवाचक संज्ञा (Jaati Vachak Sangya)

जातिवाचक संज्ञा उसे कहते हैं, जो शब्द किसी प्राणी, पदार्थ या समुदाय की पूरी जाति का बोध कराते हैं।

जातिवाचक संज्ञा  के उदहारण (Examples of Jaati Vachak Sangya)

» गाय - यहाँ गाय कहने से सभी प्रकार की गायों का बोध होता है चाहे वो देशी हो या विदेशी, काले हो या उजली।

उसी प्रकार पर्वत, नदी, झरना ,पुस्तक, फल ,फूल, मनुष्य, लड़का, लड़की , शहर, गांव इत्यादि जातिवाचक संज्ञा  के उदहारण हैं।

(३) भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya)

भाववाचक संज्ञा उसे कहते हैं, जो किसी गुण ,दशा ,कार्य, भाव या स्वभाव का बोध कराते हैं। भाव वाचक संज्ञाओं को सिर्फ अनुभव किया जा सकता है उन्हें स्पर्श नही किया जा सकता है। 

भाववाचक संज्ञा के उदहारण (Examples of  Bhav Vachak Sangya)

गुण, दोष, लंबाई ,चौड़ाई  ,कुरूपता ,सुंदरतादशा, बुढ़ापा, यौवनभाव, मित्रता, शत्रुता ,क्रोध ,शांति ,आशाकार्य, सहायता, प्रशंसा इत्यादि। दिए हुए सभी उदाहरणों को सिर्फ अनुभव किया जा सकता है लेकिन ये सभी अस्पर्शी होती हैं। 

(४) समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya)

समूहवाचक संज्ञा उसे कहते हैं, जिस शब्द से किसी समूह या समुदाय का ज्ञान होता है ।

समूहवाचक संज्ञा के उदहारण (Examples of Samuh Vachak Sangya)

सेना , भीड़, जुलूस ,सभा ,कक्षा ,परिवार ,झुंड  आदि ।

(५) द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya)

द्रव्यवाचक संज्ञा उसे कहते हैं, जिससे किसी पदार्थ या द्रव्य का बोध होता है । द्रव्य वाचक संज्ञाओं को मापा या तौला जा सकता है। 

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदहारण (Examples of Dravya Vachak Sangya)

सोना, चांदी, दूध , पानी ,पीतल ,तांबा ,लकड़ी इत्यादि ।

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हिंदी व्याकरण :

1. संज्ञा और उसके भेद | Sangya aur Usake Bhed

2. सर्वनाम और उसके भेद | Sarvanam aur Usake Bhed

3. विशेषण और उसके भेद | Visheshan Aur Usake Bhed

4. क्रिया और क्रिया के भेद | Kriya aur Kriya ke Bhed

5. उपसर्ग | Upsarg ke bhed

6. संधि और संधि विच्छेद | Sandhi aur Sandhi Vichchhed 

7. कारक और कारक के भेद | Karak aur Karak Ke Bhed

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